PDF Title | Yajurveda (यजुर्वेद) |
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Pages | 420 Pages |
PDF Size | 22.1 MB |
Language | Hindi |
Sub-Category | |
Source | vedpuran |
Yajurveda(सामवेद) – Download
२८१. मरुत्वन्तं वृषभ वावृधानमकवारिं दिव्य» शासमिन्द्रम्। विश्वासाहमवसे ुलनायोग्र सहोदामिह त*ं हुवेम। उपयामगृहीतोसीन्द्राय त्वा मरुत्वत 5एष ते त्वा मरुत्वते। उपयामगृहीतोसि मरुतां त्वौजसे ॥३६॥ साधकगण अपनी रक्षा के निमित्त, दिव्यशक्ति से सम्पन्न, ऐश्वर्य एवं पराक्रम प्रदान करने वाले, जल की वर्षा करने वाले इन्द्रदेव का मरुद्गणों के साथ आवाहन करते हैं । हे ग्रहों (पात्रों) ! आपको मरूद॒गणों सहित इन्द्रदेव की तृप्ति के लिए, नियमानुसार ग्रहण किया गया है । यह आपका मूल स्थान है, मरुतों को बल एवं प्रसन्नता प्रदान करने के लिए आपको यहाँ स्थापित करते हैं ॥३६ ॥