PDF Title | Navratri Path Katha Aarti Book ( नवरात्रि पाठ कथा आरती ) |
---|---|
Pages | 112 Pages |
PDF Size | 20.0 MB |
Language | Hindi |
Sub-Category |
Navratri Path Katha Aarti Book ( नवरात्रि पाठ कथा आरती ) – Download
शुम्भ युद्ध में मारा गया तथा उसका पराक्रमी भाई निशुम्भ के मारे जाने पर शेष दैत्य पाताल लोक भाग गए। हे राजन! इस प्रकार भगवंती अम्बिका नित्य होती हुई भी बार-बार प्रकट होकर इस जगत का पालन कश्ती हैं, वे ही इसको मोहित करती हैं, जन्म देती हैं और प्रार्थना करने पर समृद्धि प्रदान करती- हैं। हे ग्रजन! भगवती ही महाप्रलय के समय महामारी का रूप धारण करती हैं और वही सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में व्याप्त हैं।
वह सनातन देवी प्राणियों का पालन करती हैं। वे ही मनुष्यों के अभ्युदय के समय घर में लक्ष्मी का रूप बनाकर स्थिर हो जाती हैं तथा अभाव के समय दरिद्रता बनकर विनाश का कारण बन जाती हैं। पुष्प, धूप और गन्ध आदि से पूजन करके उनकी स्तुति करने से वह धन और पुत्र प्रदान करती हैं और धार्मिक बुद्धि तथा उत्तम गति प्रदान करती हैं।