PDF Title | Ishavasya Upanishad |
---|---|
Hindi Title | ईशावास्योपनिषद |
Pages | 161 Pages |
PDF Size | 2.6 MB |
Language | Hindi |
Sub-Category | |
Source | OSHO |
Ishavasya Upanishad (ईशावास्योपनिषद) – Download
स आदमी ने कहा मैं मुर्गी को निकाले देता हूं. स आदमी ने कहा मुर्गी बोतल के बाहर है बोलो रिं ई ने कहा है जीवन कोई पहेली नहीं है जो से पहेली बनाते हैं वे ही मुश्किल में प॒ जाते हैं. जदगी कोई प्रश्न नहीं है जो आम बनाते है नही तर खीजना पं ताई सब तर ल हा चले जाते है जीवन एक यह ऑन कट ‘यान रहें दोहरे शब्द, पयोग करता हूँ ओपन सीट: -खूला उुस्य जीवन बिलकुल खुला है आंख के सामने है चारों तर. भी ‘पा नहीं है कोई पर्दा नही है. र भी रहस्य जे हल मं के देता है पहेली का मतलब झोता है जो खुल सकती है रहस्य का मतलब होता है. खूलाइआ है रा रु भी. रु भी खुला हुआ नहीं है रहस्य का मतलब है जो बिलकुल खुला दुआ रा र भी इतना गहरा है कि तुम अनंत-अनंत यात्रा करो” र भी पाओगे कि सदा शेष रह गया पूर्ण से पूर्ण बाहर भी निकल आए तो भी पी.
पूर्ण शेष रह जाता हे पूर्ण मे पूर्ण लीन भी हो जाए तो भी तो भी पूर्ण तना ही रहता है जितना था इस रहस्यमयता इस मिस्टीरियसनेस की सूचना देने वाला यह सूत्र है यह इशारा है यह इशारा है इस बात का कि जो इस सूत्र को राजी हो जाएगा वह जीवन में प्रवेश कर सकता है जो इस सूत्र को कहेगा कि नहीं यह नहीं हो सकता वह दरवाजे के बाहर ही रह जाएगा वह दरवाजे के भीतर प्रवेश नहीं कर सकता रहस्य है जीवन रहस्य का मतलब है तर्कातीत तर्क के नियम आदमी ने अपनी बुद्धि से खोजे हैं तर्क के लियम कहीं पति में लिखे हुए नही है प्रति तर्क के नियम साई नहीं करती प्रकति कोई तर्क का नियम नहीं देती तर्क के नियम आदमी निर्मित करता है कामचला हैं लेकिन भूल जाते हैं हम कि कामचला हैं मा सब नियम से ही हैं जैसे हमारे खेल के नियन होते हैं. सल्सा आ दि गेम शतरंज का खेल है. ) ।है हाथी है सब हैं सबकी चालें बंधी हैं भारी गंभीरता से खिला ” खेलते हैं सच तो यह है कि शतरंज के खेल में जितने गंभीर लोग दिखाई प ले हैं ने शायद असली जी में भी दिखाई नहीं प ते तलवार खब जाती हैं लक “के । बि ए. कह लक . के हाथी बनाए हुए हैं लक के प्यादे राजा बनाए हुए हैं मगर जब खेल में लीन होते हैं तो यह बिलकुल भूल जाते हैं कि यह बच्चों का काम कर रहे हैं. कोई.” नहीं है कोई हाथी नहीं है कोई राजा नहीं है कोई प्यादा नहीं है सब माना हुआ है सब अज़म्शंस हैं ‘ैक जदगी के भी सब तर्क के नियम से ही हैं सब माने हुए नियम हैं कोई नियम नहीं है जो प्रकति ने हमें दिया है जो जीवन ने हमें दिया है हमने थोपे हैं हमारे नियम वैसे ही हैं जैसे स क पर चलने के ट्रेन क के नियम होते हैं बाएं चलो कि दाएं चलो हिंदुस्तान में लोग बाएं चलते हैं अमरीका में लोग दाएं चलते है.