PDF Title | Invincible Thinking |
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Hindi Title | अपराजित सोच |
Pages | 72 Pages |
PDF Size | 2.1 MB |
Language | Hindi |
Sub-Category | |
Source | http://www.jaicobooks.com/j/j_home.asp |
Invincible Thinking (अपराजित सोच) – Download
अब तक मैंने व्यक्ति को कोई भी पद्धति अपनाने का निर्णय लेने की छूट की छूट दे रखी थी और इससे कुछ भ्रम पैदा हो जाता है। इस कारण से, अपराजित सोच के विचार को इन दो से जोड़ने के रूप में शुरूआत की है जिससे यह सिद्धांत और स्पष्ट हो जाता है। मैं चाहता हूँ कि आप अपराजित सोच का इस्तेमाल तब करें जब आपके पास किसी समस्या को सुलझाने का और कोई उपाय न हो क्योंकि ये एक प्रभावशाली दर्शन हैं जिसमें आत्म चिंतन ओर प्रगति दोनों शामिल हैं। सकारात्मक सोच अपनाते समय लोग उसकी छाया को नहीं देखते चीजों के बुरे पक्ष पर नजर नहीं डालते। वे केवल प्रकाश की ओर उज्जवल भविष्य की ओर देखते हैं या चीजों पर केवल रचनात्मक दृष्टि से नजर डालते हैं, हालांकि यह दर्शन बहुत कारगर है किंतु यदि इस दिशा पर केन्द्रित रहेंगे तो आत्म चिंतन के लिए इसमें कोई जगह नहीं है। नि आप कितने ही सकारात्मक और दूंरदेशी बने रहे कई बार समय ठीक नहीं होता।
मुझे विश्वास है आपने पहले भी कई विफलताएं देखी होंगी। क्या ऐसे अवसरों पर यह ठीक होगा कि इसको अनदेखा कर लापरवाही से आगे बढ जाएं। संभवत: आपने स्वयं से कहा हो कि जब तक आप आगे बढ़ते रहेंगे सब कथा ठीक ठाक चलता रहेगा। बस आपका रवैया हमेशा सकारात्मक होना चाहिए। यदि आप गिर जाते हैं या कर बैठते हैं तो आप संभवतः कहते हैं, “इन चीजों की मैं परवाह नहीं करता, मैं केवल प्रकाश में रहना चाहता हूँ, आखिरकार एक व्यक्ति की प्रवृत्ति अनिवार्यतः प्रकाश की ओर होती है।” जो लोग सकारात्मक सोच अपनाते हैं वे इसी प्रकार सोचते हैं किंतु क्या यही सब जीवन है? क्या लोगों की भावनाएं इतनी सरल है ? मानव जाति का दिल और दिमाग समझने के बाद मुझे मजबूरन अपने आप से पूछना पड़ा, क्या इतना ही काफी है। क्या लोगों को एक ही दिशा में आगे बढ़ना, केवल एक प्रकार की ही सोच अपनाना पर्याप्त है ? नहीं, कदापि नहीं। लोगों के दिलो-दिमाग गहन भावनाओं और विचारों से भरे पड़े है अतः इस सब पर विचार करने के लिए गहरे दर्शन की भी आवश्यकता है।