Heart Mafia (हार्ट माफिया) :: PDF

हार्ट माफिया _ Heart Mafia (Hindi Edition) - Dr. Biswaroop Roy Chowdhury

PDF Title Heart Mafia
Hindi Title हार्ट माफिया
Pages 92 Pages
PDF Size 2.1 MB
Language Hindi
Sub-Category
Source www.diamondbook.in

 

Heart Mafia (हार्ट माफिया) – Download

किसी भी रोग के उपचार में दवा केवल एक अंश है, हमारा मन व मस्तिष्क भी अपनी-अपनी भूमिकाएं निभाते हैं। हमारा मस्तिष्क किसी बात पर कैसे विश्वास करता है, इसके लिए हम आपको एक उदाहरण देंगे। जैसे कई लोगों को कॉक्रोच से बहुत डर लगता है। यद्यपि वे जानते हैं कि इस जीव से उन्हें कोई हानि नहीं हो सकती किम लव जल का ला हो नस अल अवपील अमल वो कर कस पुल चाए तोवे इसके लिए कोई जायज कारण नहीं दे पाते। दरअसल इसका संबंध हमारे दिमाग में बने मानसिक चित्र से होता है। जब कोई बच्चा पहली बार कोंक्रोच को देखता है तो उसके मन में कॉक्रोच के लिए न तो कोई भय होता है और न ही किसी तरह का लगाव होता है। उसे उससे दूर रखने के लिए माता-पिता यूं ही कह देते हैं ‘पीछे हो जाओ, ये तो भूत है।’

अब उस बच्चे ने भूत की इतनी कहानियां सुनी हैं पर कभी भूत को नहीं देखा इसलिए वह यही मान लेता है कि वह एक भूत है। कुछ समय बाद जब भी कहीं भूत का नाम आता है तो उसके दिमाग में कॉक्रोच का ही मानसिक चित्र उभरता है। इस तरह कॉक्रोच और भूत का संबंध इतना मजबूत होता जाता है कि उसके लिए यह भय का दुख नाम बन जाता है। आज इतने सालों बाद भी जब वह कॉक्रोच को देखता है तो बस उसका दिमाग उसे उससे होने को कहता है क्योंकि बचपन से ही कॉक्रोच को भूत के भय से जोड़ा गया था। अब हमें यह देखना है कि दिमाग कैसे काम करता है। वह पहले बुद्धि से काम लेता है और फिर अपने स्मृति भंडार की सहायता लेता है। जब भी दोनों में से कोई एक चुनाव करना हो तो वह बचपन में बसे मानसिक चित्र को ही मानेगा। वह किसी भी तर्क को समझने या मानने से पहले अपनी पिछली स्मृति से मदद मांगता है। यदि वह उस तर्क को समर्थन देती है तभी वह उसे मानने को तैयार होता है। यदि हमें अपने दिमाग में कोई चीज़ डालनी है तो से जुड़ा कोई अनुभव डालना होगा तभी वह उस परिवर्तन को स्वीकार कर सकेगा।