PDF Title | Durga Saptashati – Hindi (दुर्गा सप्तशती) |
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Pages | 159 Pages |
PDF Size | 466 KB |
Language | Hindi |
Sub-Category | |
Source | vedpuran |
Durga Saptashati – Hindi (दुर्गा सप्तशती) – Download
हँसने लगीं॥ ३४ ॥ उधर वह बल और पराक्रमके मदसे उन्मत्त हुआ राक्षस गर्जन लगा और अपने सींगोंसे चण्डीके ऊपर पर्वतोंको फेंकने लगा॥ ३५॥ उस समय देवी अपने बाणोंके समूहोंसे उसके फेंके हुए पर्वतोंको चूर्ण करती हुई बोलीं । बोलते समय उनका मुख मधुके मदसे लाल हो रहा था और वाणी लड़खड़ा रही थी॥ ३६॥ देवीने कहा–॥ ३७॥ ओ मूढ़! मैं जबतक मधु पीती हूँ, तबतक तू क्षणभरके लिये खूब गर्ज ले। मेरे हाथसे यहीं तेरी मृत्यु हो जानेपर अब शाीधघ्र ही देवता भी गर्जना करेंगे॥ ३८ ॥ ऋषि कहते हैं–॥ ३९॥ यों कहकर देवी उछलीं और उस महादैत्यके ऊपर चढ़ गयीं। फिर अपने पैरसे उसे दबाकर उन्होंने शूलसे उसके कण्ठमें आघात किया॥ ४०॥ उनके पैरसे दबा होनेपर भी महिषासुर अपने मुखसे [ दूसरे रूपमें बाहर होने लगा ]