PDF Title | Bhagavata Purana (भागवत पुराण) |
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Pages | 842 Pages |
PDF Size | 57.2 MB |
Language | भागवत पुराण |
Sub-Category | |
Source | vedpuran.net |
Bhagavata Purana (भागवत पुराण) – Download
नार्दजीने कहा–बाले ! यदि तुमने पूछा है, तो प्रेमसे सुनो, कल्याणी ! मैं तुम्हें सब बताऊँगा और तुम्हारा दुःख दूर हो जायगा॥ ६५॥ जिस दिन भगवान् श्रीकृष्ण इस भूलोककों छोड़कर अपने परमधामको पधोरे, उसी दिनसे यहाँ सम्पूर्ण साधनोंमें बाधा डालनेवाला कलियुग आ गया॥ ६६॥ दिग्विजयके समय राजा परीक्षित्की दृष्टि पड़नेपर कलियुग दीनके समान उनकी शरणमें आया। भ्रमरके समान सारप्राही राजाने यह निश्चय किया कि इसका वध मुझे नहीं करना चाहिये॥ ६७॥ क्योंकि जो फल तपस्या, योग एवं समाधिसे भी नहीं मिलता, कलियुगमें वही फल श्रीहरिकीर्तनसे हो भलीभाँति मिल जाता है॥ ६८ ॥ इस प्रकार सारहीन होनेपर भी उसे इस एक ही दृष्टिसे सारयुक्त देखकर उन्होंने कलियुगमें उत्पन्न होनेवाले जीबोके सुखके लिये ही इसे रहने दिया था॥ ६९॥