Agni Purana ( अग्निपुराण ) :: PDF

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PDF Title Agni Purana ( अग्निपुराण )
Pages 842 Pages
PDF Size 57.2 MB
Language Hindi
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Source vedpuran

 

Agni Purana ( अग्निपुराण ) – Download

तत्पश्चात्‌ अग्निके दक्षिण किनारे अपराजिता देवी तथा सुवर्णणय कलशकी, जिसमें जल गिरानेके लिये अनेकों छिद्र बने हुए हों, स्थापना करके चन्दन और फूलोंके द्वारा उनका पूजन करे। यदि अग्निकी शिखा दक्षिणावर्त हो, तपाये हुए सोनेके समान उसकी उत्तम कान्ति हो, रथ और मेघथके समान उससे ध्वनि निकलती हो, धुआँ बिलकुल नहों दिखायी देता हो, अग्निदेव अनुकूल होकर हविष्य ग्रहण करते हों, होमाग्निसे उत्तम गन्ध फैल रही हो, अग्निसे स्वस्तिकके आकारकोी लपटें निकलती हों, उसकी शिखा स्वच्छ हो और ऊँचेतक उठती हो तथा उसके भीतरसे चिनगारियाँ नहीं छूटती हों तो ऐसी अग्नि-ज्वाला श्रेष्ठ एवं हितकर मानी गयी है॥९–११॥