PDF Title | Ravan Samhita ( रावण संहिता ) |
---|---|
Pages | 64 Pages |
PDF Size | 52.7 MB |
Language | Hindi |
Sub-Category | |
Source | shri thakur |
Ravan Samhita ( रावण संहिता) – Download
प्रस्तुत ग्रन्थ रावणसंहिता के प्रवर्त्तक लंकेश्वर दशानन रावण के प्रसड्ज में देवताओं से भगवान् श्री विष्णु का यह कहना कि वे अभी उसे युद्ध में परास्त नहीं कर सकते, रावण को प्राप्त दिव्य शक्तियों की ओर ही संकेत करता है। यह अजेयता प्रजापति ब्रह्मा से प्राप्त वर के कारण ही थी। इसे प्राप्त करने के लिए रावण ने घोर तपस्या की थी। परन्तु प्राकृतिक कुछ विलक्षणता का परिणाम ही सही मनुष्यों और वानरों की उपेक्षा का फल पराजय के रूप में उसके सामने आया। लेकिन यह कया कम महत्त्वपूर्ण है कि लंकेश को पराजित करने के लिए निराकार को साकार रूप लेना पड़ा। उनके युद्ध की चर्चा करते समय किसी ने सच ही कहा है–वैसा कोई युद्ध न कभी हुआ और न कभी होगा।